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  विधा-आल्हा छंद                                    "'टीम उमंग'" अन्तर्मन के स्वप्न चित्र मे,कुछ तो भर पायेंगे रंग। इसी लक्ष से प्रेरित उर्जित,संकल्पित है टीम उमंग। अवमूल्यन की भेंट चढ़ रही,सरकारी शिक्षण संस्थान। कब तक यूँ अवनत देखेंगे,शिक्षक की गरिमा सम्मान। निश्छल बचपन के स्वप्नो ने,चिंतन को दिखलाया राह। कुछ तो स्वप्न सँवारूँ मै भी,शिक्षक के मन जागा चाह। देख समर्पण श्रम शिक्षक के,हर कोई रह जाये दंग। इसी लक्ष से प्रेरित उर्जित,संकल्पित है टीम उमंग। पहली सीढ़ी पहुँचाती है,कदमों को मंजिल के द्वार। कठिन परिश्रम सद्प्रयास से,होते है सपने साकार। मै तुम मिलकर हम बन जायें,हम मे फिर सारा संसार। छूलो आसमान को फिर तो,या जावो सागर के पार। एक एक ग्यारह होते है,जब मिलकर चलते है संग। इसी लक्ष से प्रेरित उर्जित,संकल्पित है टीम उमंग। रचनाकार:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"                      गोरखपुर,कवर्धा                       27/06/2018   
जलहरण घनाक्षरी                    "चुनई बछर" रैली हड़ताल बर,गोंदली पताल बर, बजे खूब गाल तब जान चुनई बछर। मीडिया के पटल मा,जनता के हालत के, उठय सवाल तब जान चुनई बछर। जनता हा गोठियाय,नेता कर एड़ी खाय, होवय कमाल तब जान चुनई बछर। जनता निहाल होय,माँगय रूमाल जब, मिले साड़ी साल तब जान चुनई बछर। -सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"              गोरखपुर,कवर्धा               16/06/2018