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बरवै छंद बड़े बिहनहा उठके,गे हें खेत। सँघरा नाती बूढ़ा,कर के चेत। जातो जातो बेटी,धर ले पेज। भूँख मरे झन पावैं,लउहा लेज। चलना सँघरा जाबो,हो तइयार। घर ले अब्बड़ दुरिहा,परथे खार। तैं हा धरले पानी,अउ मै पेज। नइ मै जाँव अकेल्ला,झन तैं भेज। कहिके गे हें दाई,बाबू मोर। पढ़े लिखे मा देबे,बेटी जोर। नतनिन के मुँह ले जब,सुनथे गोठ। दादी करथे नतनिन,के मन मोठ। तोर ददा दाई ला,झन सरमेट। गे हें शहर नगर ओ,धर के पेट। सहीं कहे ओ बेटी,गोंदा फूल। ले भइगे अब जा तैं,हर इसकूल। अतका कहिके दादी,चलदिस खार। होगे बस्ता बेटी,के तइयार। दकियानूस सुधारन,लागे भूल। बेटी हाँसत जावत,हे इसकूल। दादी पेज धरे जब,पहुँचे खेत। काम बुता ला देखत,हरगे चेत। तर तर बूँद पसीना,हर चुचुवाय। देख देख अंतस मा,खुशी अमाय। नाती मुंगफली ला,कोड़त जाय। दादा बइठे बइठे,टोरत जाय। बइठय छँइहा मा अउ,पारय रेर। आवव जल्दी खालव,होगे देर। दादी बोरी धरके,जोरत जाय। छिन मा हाँथ गोड़ ला,मोरत जाय। नान्हे मति ले बरवै,लिखे अँजोर। पाठक मन पढ़के ले,लेहू सोर।         रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर