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 पंथी गीत मॅंय तो पबरित चरण मनावॅंव गुरू के मोर..आरती वंदना ल गावॅंव गुरू के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस बबा के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस मॅंय तो चरणों में माथ नवावॅंव गुरू के मोर..आरती वंदना ल गावॅंव गुरू के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस बबा के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस पुरुषपिता ले जीव जगत पुकारे गुरू बिन कोन दुख विपदा ल टारे--कोरस गिरौदपुरी म बाबा लिए अवतारे ज्ञान अमरित देके हंसा ल उबारे---कोरस उही ज्ञान अमरित महूॅं पावॅंव गुरू के मोर..आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस बबा के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस चंदन घोरि घोरि ॲंगना लिपावॅंव गज मोति अन कर चौंक पुरावॅंव--कोरस हिरदे कमल बीच गदिया लगावॅंव ओहि गदिया म सतगुरू ल पौढ़ावॅंव--कोरस मॅंय तो मन भर दर्शन पावॅंव गुरू के मोर..आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस बबा के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस गुरु मोर ज्ञानी कर हे अमरित पानी सुने हावॅंव मैं ह सबो संत के जुबानी..कोरस बिना भेद-भाव बाबा करे हे सियानी सबो बर मीठ मया मीठ मीठ बानी..कोरस गुरु गुन गा के आशीष पावॅंव गुरू के मोर...आरती वंदना ल गावॅंव---कोरस बबा के मोर आरती वंदना ल गावॅंव---को
जसगीत महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा। सेवा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं तोर सहारा। तोर दया किरपा जिनगी भर, पावॅंव सुख उजियारा। महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा। जननी बनके जनम दिये तैं, बहिनी बनके राखी। बेटी बन ॲंगना मा फुदके, हरसिस हिरदे ऑंखी। तोरे ॲंचरा के छइहॉं मा, दुलरावय जग सारा। महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा। जनम-भूमि दाई तोर कोरा, आइन ज्ञानी ध्यानी। नॉंव अमर करके चल देइन, सत के छोड़ निशानी। सरी जगत के तरणतारिणी, तैं गंगा के धारा। महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा। तोर बिना सृष्टि के रचना, दाई निचट अधूरा। तोर दया किरपा दुनिया के, सपना होथे पूरा। धरती ले आकाश तलक तोरे गूॅंजय जयकारा। महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा। -सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'