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चौपई छंद-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर गणतंत्र का सोभा बरनँव सँहुराँव। खुश हे शहर नगर अउ गाँव। गली मोहल्ला पारा ठाँव। धजा तिरंगा ला पहुँचाँव। हे गणतंत्र दिवस त्यौहार। मन गदगद हे झारा झार। गुँजय तिरंगा के जय गान। जय भारत जय हिन्दुस्तान। सुग्घर संविधान के मंत्र। जेखर ले चलथे सब तंत्र। मानवता समता के यंत्र। सबले बढ़िया हे गणतंत्र। रोटी कपड़ा मान मकान। शिक्षा रोजी पद पहिचान। पूजा नियम धरम अउ दान। सब बर अवसर एक समान। शोषित वंचित जात समाज। आरक्षण पावत हे आज। कोठी मा अब हवय अनाज। फुलत फरत हे लोक सुराज। बोली भाषा भले अनेक। पर सबके अंतस हे एक। सद् विचार सबके हे नेक। अब हे मनखे मनखे एक। जनता होगे हे हुशियार। रेंगय रस्ता ला चतवार। देखय बिगड़े के आसार। लेवय अपने हाथ सँवार। ना लाठी तब्बल तलवार। ना सैना ना सिपहसलार। जनमत बर नइ हे तकरार। जनता अब चुनथे सरकार। बाबा भीमराव गुणवान। तुँहर कलम के लिखे विधान। हवय हमर बर जीव परान। मन के सुख मुँह के मुस्कान। रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर मु.गोरखपुर,कबीरधाम(छत्तीसगढ़)
'अपना विद्यालय सरकारी' नही एक की हम सबकी है, निश्चित नैतिक जिम्मेवारी। सहयोगी बन चलो सँवारे, अपना विद्यालय सरकारी।। अपने ही बच्चे पढ़ते हैं। यहीं भाग्य अपना गढ़ते हैं। पौधों सा नित नित बढ़ते हैं। लक्ष्य सीढ़ियों पर चढ़ते हैं। फिर क्यों इतनी है दुश्वारी... सहयोगी बन चलो सँवारे, अपना विद्यालय सरकारी। कोशिश की ना कोई हद हो। अधिक नही तो एक अदद हो। सहयोग नही हो पाये धन से, तन मन से हर हाल मदद हो। हाथ धरे ना देखें पारी... सहयोगी बन चलो सँवारे, अपना विद्यालय सरकारी। कारज समय सरेख रहा है। आशान्वित हो देख रहा है। है इतिहास गवाह देख लें, योगदान पर लेख रहा है। होती कलम धार दो धारी... सहयोगी बन चलो सँवारे, अपना विद्यालय सरकारी। रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर मु.गोरखपुर,कबीरधाम छत्तीसगढ़