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लावणी छंद-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर शीर्षक-दाई जेखर अँचरा के छँइहा मा,उपजे जुग जिनगानी हे। काबर आज उही दाई के,मन अँखियन मा पानी हे। जेखर अँगरी धरके बचपन,पहली पाँव उचाइस हे। उच्चारिस माँ शब्द कण्ठ ले,कुलकिस रेंगिस धाइस हे। जेखर किरपा उमर जवानी,समझिस का छत छानी हे। काबर आज उही दाई के,मन अँखियन मा पानी हे। कहाँ छुपे हस राज दुलारा,चउथे पन के लाठी रे। का ओ दिन देखे बर जाबे,परही जे दिन काठी रे। जेखर किरपा ले जाने हस,काला कथें बिहानी हे। काबर आज उही दाई के,मन अँखियन मा पानी हे। रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर मु.गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
 श्रद्धा के सुरता माँ मिनी माता ************************                      लावणी छंद भारत माँ के हीरा बेटी,ममतामयी मिनी माता। तै माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। सुरता हे उन्नीस् सौ तेरा, मार्च माह तारिक तेरा। देवमती बाई के कुँख मा,जन्म भइस रतिहा बेरा। खुशी बगरगे चारो-कोती,सुख आइस हे दुख जाके। ददा संत बड़ नाचन लागे,बेटी ला कोरा पाके। सुख अँजोर धर आइस बेरा,कटगे अँधियारी राता। तै माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। छट्ठी नामकरण आयोजन,बनिन गाँव भर के साक्षी। मछरी सही आँख हे कहिके,नाँव धराइन मीनाक्षी। गुरु गोसाई अगम दास जी,गये रहिन आसाम धरा। शादी के प्रस्ताव रखिन हे,उही समय परिवार करा। अगम दास गुरु के पत्नी बन,मिलहिस नाँव मिनी माता। तैं माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। सन उन्नीस् सौ इंक्यावन मा,अगम लोक गय अगम गुरू। खुद के दुख ला बिसर करे माँ,जन सेवा के काम शुरू। बने प्रथम महिला सांसद तैं,सारंगढ़ छत्तीसगढ़ ले। तोर एक ठन रहै निवेदन,जिनगी बर कुछ तो पढ़ ले। पढ़े लिखे ला काम दिलावस,सरकारी खुलवा खाता। तैं माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। जन्म भू
गज़ल ख़ास क्या स्तर सभी का आम है देख कर चलना चुनावी शाम है ठोस विश्लेषक बना हर आदमी साथ सहयोगी चुनावी जाम है क्यों किसी से ख़ामख़ाँ उलझें भला हम को अपने काम से ही काम है देख भौंचक रह गया मै भीड़ को पूछ बैठा क्या यहाँ भी धाम है जो चराचर को कभी बाँटा नही आज मुद्दों मे उसी का नाम है माह भर कर लो चुनावी मेहनत फिर तो क्या है उम्र भर आराम है सो रही है मत समझ सुखदेव तू जागती आठो पहर आवाम है -सुखदेव सिंह अहिलेश्वर गोरखपुर कबीरधाम (छ.ग.) ahileshver.blogspot.com
गज़ल ख़ास क्या स्तर सभी का आम है देख कर चलना चुनावी शाम है ठोस विश्लेषक बना हर आदमी साथ सहयोगी चुनावी जाम है क्यों किसी से ख़ामख़ाँ उलझें भला हम को अपने काम से ही काम है देख भौंचक रह गया मै भीड़ को पूछ बैठा क्या यहाँ भी धाम है जो चराचर को कभी बाँटा नही आज मुद्दों मे उसी का नाम है माह भर कर लो चुनावी मेहनत फिर तो क्या है उम्र भर आराम है सो रही है मत समझ सुखदेव तू जागती आठो पहर आवाम है -सुखदेव सिंह अहिलेश्वर गोरखपुर कबीरधाम (छ.ग.) ahileshver.blogspot.com
गज़ल 2122 2122 212 तुम कहो जाओ तो जाऊँ क्यों भला तुम कहो आओ तो आऊँ क्यों भला तुम को हँसता देख कर ऐ अज़नबी साथ तेरे मुस्कुराऊँ क्यों भला प्यार चाहत दिल्लगी होगा कभी आज ही मै दिल लगाऊँ क्यों भला भक्ति अपनी तुझ स्वघोषित भक्त को चीर के सीना दिखाऊँ क्यों भला मेरे अपने तर्क भी तो ठोस है तेरी हाँ मे हाँ मिलाऊँ क्यों भला बच्चे पीते हैं बड़े ही चाव से दूध मूरत को पिलाऊँ क्यों भला तुम को गिनना है तो तुम बेशक गिनो काम अपने मै गिनाऊँ क्यों भला मै तो सच सुनता हूँ सच कहता भी हूँ सच को सुनके तिलमिलाऊँ क्यों भला आपने तोड़ा जिसे सुखदेव जी मै वही वादा निभाऊँ क्यों भला -सुखदेव सिंह अहिलेश्वर गोरखपुर कबीरधाम(छ.ग.)