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  तीज तिहार-  "गुरू परब गुरु घासीदास जयन्ती" सियारी सकला गे रहिथे धनइया दाई के पबरित पॉंव ह गाॅंव म परगे रहिथे ओन्हारी खेती म बोंवागे रहिथे किसान के कोठी म धान भरे के बाद ओखर मन ह भरे भरे लगत रहिथे।खोर गली के सुघराई मन ला मोहत रहिथे जाड़ के जनाती अउ नवम्बर के जाती म छत्तीसगढ़ के भुइॅंया ह कोरा म खेलाय अपन दुलरुवा सपूत घासीदास के सुरता करे लगथे अउ तब शुरू होथे दिसम्बर के पावन पबरित महिना। छत्तीसगढ़ म दिसम्बर ल गुरू परब के महिना कहे जाथे। छत्तीसगढ़ के धरती म पावन धाम गिरौदपुरी हे जिहॉं महान संत गुरु घासीदास के अवतरण माता अमरौतिन अउ पिता संत महॅंगूदास बाबा के घर 18 दिसम्बर सन् 1756 के होय रहिस। बाबा गुरु घासीदास ह अपन जप तप सत के बल म बहुत अकन महिमा देखाइस संगे संग मनखे मन ल सत्य अहिंसा दया करुणा महिनत सुमता समता के राह रस्ता देखाइस आपस म भाईचारा के साथ रहे ल सिखाइस। बाबा गुरु घासीदास आज पूरा विश्व बर वंदनीय हे। बम अउ बारूद के मुॅंह म खड़े मुॅंह चलावत विश्व समुदाय बर गुरु घासीदास बाबा जी के बताए सत अउ शान्ति के मारग ह हर हाल अनुकरणीय हे। वइसे तो पूरा छत्तीसगढ़ बाबा गुरु घासीदा