बरवै छंद
गाँव शहर सँग अंतस,अँगना खोर।
सुम्मत के दीया ले,होय अँजोर।
जिनगी ला अलखाथे,परब तिहार।
दुख के अँधियारी बर,दीया बार।
शुभचिंतक ले माँगे,मदद गरीब।
शुभ संदेश बधाई,नही नसीब।
दुखिया के दुख बाँटव,नाता जोड़।
भूँख गरीबी भागे,घर ला छोड़।
ज्ञान बटाई पावन,पबरित काम।
पढ़ लिख मनखे बनथे,गुन के धाम।
पढ़े लिखे मनखे के,हे पहिचान।
घर समाज ओखर ले,पाथे मान।
साफ सफाई स्वस्थ रहे के यंत्र।
स्वच्छ रहे के आदत,होथे मंत्र।
ध्यान रहै जी निकलै,गुरतुर बोल।
करम कमाई मा झन होवै झोल।
दीया जगमग जग मा,करे प्रकाश।
हिम्मत हारे के मन,जागे आस।
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
गाँव शहर सँग अंतस,अँगना खोर।
सुम्मत के दीया ले,होय अँजोर।
जिनगी ला अलखाथे,परब तिहार।
दुख के अँधियारी बर,दीया बार।
शुभचिंतक ले माँगे,मदद गरीब।
शुभ संदेश बधाई,नही नसीब।
दुखिया के दुख बाँटव,नाता जोड़।
भूँख गरीबी भागे,घर ला छोड़।
ज्ञान बटाई पावन,पबरित काम।
पढ़ लिख मनखे बनथे,गुन के धाम।
पढ़े लिखे मनखे के,हे पहिचान।
घर समाज ओखर ले,पाथे मान।
साफ सफाई स्वस्थ रहे के यंत्र।
स्वच्छ रहे के आदत,होथे मंत्र।
ध्यान रहै जी निकलै,गुरतुर बोल।
करम कमाई मा झन होवै झोल।
दीया जगमग जग मा,करे प्रकाश।
हिम्मत हारे के मन,जागे आस।
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
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