हे शिक्षक शिक्षकीय कार्य सिर्फ सोमवार से शनिवार नही है।
अध्ययन-अध्यापन प्रति-पल है करार-ए-दस से चार नही है।
विद्यालय से तेरा वास्ता तो जीवन के बाद भी है मेरे आदर्श,
शिक्षकीय कर्म पुण्य तपस्या है रविवार का इन्तिजार नही है।
रचना-अहिलेश्वर सुखदेव
गोरखपुर कबीरधाम(छ.ग.)
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