कलम उठाकर थूक दिया
मन में घर में जलता दीपक, तमराजों ने फूक दिया।
बारूदी बंदूक उठाकर, धड़धड़ धड़-धड़ धूक दिया।
उग्रवाद आतंकवाद इन नक्सलवाद पिशाचों के,
कायर चेहरे पर मैंने भी कलम उठाकर थूक दिया।
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
कलम उठाकर थूक दिया
मन में घर में जलता दीपक, तमराजों ने फूक दिया।
बारूदी बंदूक उठाकर, धड़धड़ धड़-धड़ धूक दिया।
उग्रवाद आतंकवाद इन नक्सलवाद पिशाचों के,
कायर चेहरे पर मैंने भी कलम उठाकर थूक दिया।
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
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