जसगीत


महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा।

सेवा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं तोर सहारा।


तोर दया किरपा जिनगी भर, पावॅंव सुख उजियारा।

महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा।


जननी बनके जनम दिये तैं, बहिनी बनके राखी।

बेटी बन ॲंगना मा फुदके, हरसिस हिरदे ऑंखी।


तोरे ॲंचरा के छइहॉं मा, दुलरावय जग सारा।

महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा।


जनम-भूमि दाई तोर कोरा, आइन ज्ञानी ध्यानी।

नॉंव अमर करके चल देइन, सत के छोड़ निशानी।


सरी जगत के तरणतारिणी, तैं गंगा के धारा।

महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा।


तोर बिना सृष्टि के रचना, दाई निचट अधूरा।

तोर दया किरपा दुनिया के, सपना होथे पूरा।


धरती ले आकाश तलक तोरे गूॅंजय जयकारा।

महिमा ला गावॅंव तोर ओ, दाई तैं मोर सहारा।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'






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