गज़ल

ख़ास क्या स्तर सभी का आम है
देख कर चलना चुनावी शाम है

ठोस विश्लेषक बना हर आदमी
साथ सहयोगी चुनावी जाम है

क्यों किसी से ख़ामख़ाँ उलझें भला
हम को अपने काम से ही काम है

देख भौंचक रह गया मै भीड़ को
पूछ बैठा क्या यहाँ भी धाम है

जो चराचर को कभी बाँटा नही
आज मुद्दों मे उसी का नाम है

माह भर कर लो चुनावी मेहनत
फिर तो क्या है उम्र भर आराम है

सो रही है मत समझ सुखदेव तू
जागती आठो पहर आवाम है

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर कबीरधाम (छ.ग.)
ahileshver.blogspot.com

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