"करके नमन गुरुदेव ला" (हरिगीतिका छंद)

रहिलौ सदा सानिध्य मा,करके नमन गुरुदेव ला।
उँखरे कृपा आशीष ले,दुरिहा करौ मन भेव ला।

दाई ददा घर द्वार ये,समझौ कुटुम परिवार ये।
जिनगी फँसे मजधार ता,खे के नकाथे पार ये।

होथे नमन पहिली सदा,गुरुदेव के भगवान ले।
रसता धराथे साँच के,भरथे गगरिया ज्ञान ले।

जिनगी सुफल समरथ बनै,कर पोठ अंतस नेव ला।
रहिलौ सदा सानिध्य मा,करके नमन गुरुदेव ला।

गुरुदेव के आशीष ला,अमरित बरोबर जान लौ।
उँखरे दिये सतज्ञान मा,सच झूँठ ला पहिचान लौ।

जावौ शरण गुरुदेव के,मन भेद गाँठी छोरिहैं।
सद्भाव मन मा जागही,परमातमा से जोरिहैं।

गुरु के शरण मा जाय बर,काबर अगोरे छेंव ला।
रहिलौ सदा सानिध्य मा,करके नमन गुरुदेव ला।

रचनाकार:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
       गोरखपुर,कवर्धा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट