"रोला छंद"
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अब तो आँख उघार,देख काहे सच्चाई।
नो हँन भूत परेत,हमू मनखे यन भाई।
अउ कतका दिन तोर,नैन ला मूँदे रहिबे।
अउ कै जुग कै काल,हमर जिनगी ला डहिबे।
अउ कै दिन कै वर्ष,समझिहौ हमला कचरा।
अब तो सच स्वीकार,लगावौ झन अब ढचरा।
छोड़व टारव दोख ,ढोंग ओंछी करनी के।
करनी अइसन होय,रहै ना डर भरनी के।
रचनाकार:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
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अब तो आँख उघार,देख काहे सच्चाई।
नो हँन भूत परेत,हमू मनखे यन भाई।
अउ कतका दिन तोर,नैन ला मूँदे रहिबे।
अउ कै जुग कै काल,हमर जिनगी ला डहिबे।
अउ कै दिन कै वर्ष,समझिहौ हमला कचरा।
अब तो सच स्वीकार,लगावौ झन अब ढचरा।
छोड़व टारव दोख ,ढोंग ओंछी करनी के।
करनी अइसन होय,रहै ना डर भरनी के।
रचनाकार:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
बहुत खूब लिखेव सर जी
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