रूप घनाक्षरी छंद
"सुजानिक किसान"
मन कर्म बचन से,गरियार मनखे ला,
सत कुँड़ अघुवा चलाये बाबा घासी दास।
अधर म नाँगर तुतारी घलो अधर मा,
अधर ले ज्ञान अलखाये बाबा घासी दास।
हिरदे के धरती मा,सतनाम शब्द बीज,
सत जल सिंच के उगाये बाबा घासी दास।
करे कारज महान,बाबा ज्ञानी गुनवान,
सुजानिक किसान कहाये बाबा घासी दास।
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
03/07/2018
"सुजानिक किसान"
मन कर्म बचन से,गरियार मनखे ला,
सत कुँड़ अघुवा चलाये बाबा घासी दास।
अधर म नाँगर तुतारी घलो अधर मा,
अधर ले ज्ञान अलखाये बाबा घासी दास।
हिरदे के धरती मा,सतनाम शब्द बीज,
सत जल सिंच के उगाये बाबा घासी दास।
करे कारज महान,बाबा ज्ञानी गुनवान,
सुजानिक किसान कहाये बाबा घासी दास।
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
03/07/2018
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