-सतधारी गुरु अमर दास बाबा-

गुरु घासी के प्रथम पुत्र गुरु,अमर दास बाबा।
सतलोकी सत अमरित हावय,तुँहर पास बाबा।

माता सफुरा के अमरु तँय,आँखी के तारा।
तुँहर दरश बर आय हवँय सब,गाँव शहर पारा।

बहिन सहोद्रा अड़गड़िहा गुरु,आगर गोसाई।
राजा बालक दास बीर के,तँय बड़का भाई।

बचपन ले सतज्ञान लखाये,बन तपसी भारी।
सप्त-ऋषी के संगत पाये,सतगुरु सतधारी।

तेलासी भंडारपुरी मा,महिमा दिखलाये।
मृत बछिया सँउहे जी उठगे,सत अमरित पाये।

तट म बसे शिवनाथ नदी के,अमर धाम चटुवा।
सतलोकी सत रीत निभाये,सफुरा के बटुवा।

पान सुपारी सत जल नरियर,दीया हाथ धरे।
सब संतन के सँग मा गुरुजी,चरन अँजोर परे।

रचनाकार:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
                     गोरखपुर,कवर्धा(छ.ग.)
                          27/07/218
       









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