"तुँहर अमर बलिदान ला"

भारत माँ के रक्षा खातिर,अर्पित जीव परान ला।
बिरथा नइ जावन दन साहब,तुँहर अमर बलिदान ला।

नजर गड़े हे बैरी मनके,सोन चिरैया ठाँव मा।
किसिम किसिम के बिख घोरत हें,शहर नगर अउ गाँव मा।

पूरा नइ होवन देवन हम,डाह भरे अरमान ला।
बिरथा नइ जावन दन साहब,तुँहर अमर बलिदान ला।

कायर चोर सहीं हरकत हे,छुप छुप करथें वार ला।
सँउहे मा आके लड़तिन ता,पातिन मुँह के भार ला।

मुश्की बँधना बाँध ठठाबो,पा जाबो बइमान ला।
बिरथा नइ जावन दन साहब,तुँहर अमर बलिदान ला।

हँसत हँसत झेले हव गोली,सँउहे सीना तान के।
बहत लहू मा चुपरे हावव,माटी रणमैदान के।

जब तक जीबो गावत रहिबो,तुँहर अमर जश गान ला।
बिरथा नइ जावन दन साहब,तुँहर अमर बलिदान ला।

रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
             गोरखपुर,कवर्धा(छ.ग.)



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