'जनता कर्फ्यू-(सरसी-लावणी छंद गीत)
22.03.2020

सुरुज नरायण तहूँ कृपा कर,चरचर ले कर घाम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

लटकन के चटकन बीमारी,एती ओती चटकत हे।
साधारण सर्दी खाँसी हा,कोरोना कस खटकत हे।

चैन टोर के कोरोना के,पाँव करे बर जाम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

काल बरोबर कोरोना हा,दुनिया भर मा छा गे हे।
भारत भुँइया घलो दुखी चिंतित हे अउ घबरागे हे।

शहर गाँव झन फइले पावय,जल्दी लगय लगाम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

घर परिवार सगा सोदर ला,कानोकान जतावत हन।
शासन के निर्देश काय हे,फोन लगा समझावत हन।

सब के सतर्कता ले टल जै,दुख-दायक अंजाम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

अन्य देश परान्त ले कोनो,गाँव शहर मा आवत हें।
लोगन भिन्न भिन्न माध्यम ले,सत्य खबर पहुँचावत हें।

चौदह दिन बर क्वारंटाइन,देख-रेख के काम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

भाँप संक्रमण के खतरा ला,भीड़ लगाना वर्जित हे।
घुमे-फिरे बर बाहर जाना,छुना-छुवाना वर्जित हे।

खेवन खेवन हाथ ल धोवन,घर मा करन अराम।
'जनता कर्फ्यू'हे हम घर मा,बइठे हन दिल थाम।

रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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