बाल कविता-आमा
चर्रक अम्मट आमा
लाये हावय मामा
इस्कूटी मा धर के
युरिया बोरी भर के
आमा ल दिस झर्रा
कल के धूँका गर्रा
फुटे फुटे ल चान डर
साबुत ल रख अथान बर
दादी आमा छोलय
बबा ह गोही खोलय
माँ खलहारय धोवय
फाँकी ला बगरोवय
लाहीं जीजा साला
सरसों तेल मसाला
रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
चर्रक अम्मट आमा
लाये हावय मामा
इस्कूटी मा धर के
युरिया बोरी भर के
आमा ल दिस झर्रा
कल के धूँका गर्रा
फुटे फुटे ल चान डर
साबुत ल रख अथान बर
दादी आमा छोलय
बबा ह गोही खोलय
माँ खलहारय धोवय
फाँकी ला बगरोवय
लाहीं जीजा साला
सरसों तेल मसाला
रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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