सतनाम आरती

होवत्थे गुरु के आरती होवत्थे गुरु के आरती
सत भजनों से..होवत्थे गुरु के आरती सत भजनों से

सेत सिंहासन मन म मढ़त हे 2
शब्द सुमन चरनन म चढ़त हे 2

लमत्थे सत सुरती लमत्थे सत सुरती
संत जनों के..होवत्थे गुरु के आरती सत भजनों से

पुरुष पिता आ के हिरदे बिराजे 2
मन प्रफुलित तन आरती साजे 2

नचत्थे भाव भगती पटक पाँव धरती
पंथी धुनों मे..होवत्थे गुरु के आरती सत भजनों से

हिरदे बिराजे सतगुरु बाबा घासी 2
घट घट वासी गुरू गिरौद निवासी 2

कृपा करे हे महती दिखे हे भाग जगती
सत्य गुणों से..होवत्थे गुरु के आरती सत भजनों से

होवत्थे गुरु के आरती होवत्थे गुरु के आरती
सत भजनों से होवत्थे गुरु के आरती सत भजनों से

रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर,कबीरधाम छत्तीसगढ़


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