मूड़ पागा बाँध(शंकर छंद)

थक गे जाँगर अब तो मोरे,नइ उठै गा भार।
घर दुवार सँग खेती बाड़ी,अब तहीं सम्हार।
घर के बोझा हँस के बेटा,बोह ले गा खाँध।
भार भरोसा अब हे तोरे,मूड़ पागा बाँध।

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
      गोरखपुर,कवर्धा

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